Tuesday, December 1, 2009
...चांद ने कितनी देर लगा दी आने में
प्रख्यात गीतकार गुलजार ने हिंदी फिल्मी दुनिया के साथ साहित्य जगत को भी गुलजार किया है। नई दिल्ली से प्रकाशित एक प्रमुख हिंदी दैनिक के स्तंभ-रंग-ए-जिंदगानी- में सोमवार को प्रकाशित गुलजार की रचना का आप भी लुत्फ उठाएं.....
खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में,
एक पुराना खत मिला अनजाने में।
जाना किसका जिक्र है इस अफसाने में,
ददü मजे लेता है जो दुहराने में।
शाम के साये बालिस्तों से नापे हैं,
चांद ने कितनी देर लगा दी आने में।
रात गुजरते शायद थोड़ा वक्त लगे,
जरा सी धूप दे उन्हें मेरे पैमाने में।
दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है,
किसकी आहट सुनता है वीराने में।
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11 comments:
शाम के साये बालिस्तों से नापे हैं,
चांद ने कितनी देर लगा दी आने में।
-गुलजार साहब को पढ़ना हमेशा सुखद रहता है. आपका आभार.
kya baat hai respected guljar ki.narayan narayan
किसकी आहट सुनता है वीराने में........
गुलजार से महकते ब्लाग का स्वागत है.
गुलज़ार साहब की बात ही निराली है.
शुक्रिया । गजल के पढवाने के लिए ।
गुलजार साहब की रचना हमेशा लाजवाब !!!
Accha prayaas hai, Welcome.
Accha prayaas hai, Welcome.
vastav mai aaj chand ne kitani der lagaa di aane mai.
Accha prayaas hai.
Suresh Pandit
Bihar Samaj Sangathan (BSS)
E/L 17, Vidhyadhar Nagar, jaipuir 302 023
Email: biharsamajsangathan@gmail.com
www.biharsamajsangathan.org
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