Wednesday, December 9, 2009
...इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा
मशहूर शायर वसीम बरेलवी को कई कवि सम्मेलनों और मुशायरों में सुनने का सुअवसर मिला है। तरन्नुम में उन्हें सुनना दिलो-दिमाग में ताजगी भर देता है। दिल्ली से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के स्थायी स्तंभ -रंग ए जिंदगानी- में मंगलवार को प्रकाशित उनकी ये पंक्तियां गौर फरमाइए...
अपने हर लफ्ज का खुद आईना हो जाऊंगा,
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा।
तुम गिराने में लगे थे तुमने सोचा भी नहीं,
मैं गिरा तो मसअला बनकर खड़ा हो जाऊंगा।
मुझको चलने दो अकेला है अभी मेरा सफर,
रास्ता रोका गया तो काफिला हो जाऊंगा।
सारी दुनिया की नजर में है मेरी अहद-ए-वफा,
इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा।
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