Friday, January 4, 2008

साहित्य-संस्कृति-कला की त्रिवेणी में स्वागत है आपका

इस अपार संसार सागर में साहित्य की महिमा निराली है। इस सागर में कुछ ऐसे मोती हैं, जिनकी आभा से साहित्य जगत आलोकित होता है और हम-आप सरीखे साहित्यप्रेमी आनंदित। इन मोतियों को किसी प्रचार-प्रसार की तमन्ना नहीं होती है मगर फूल की खुशबू को हवा बिना किसी एप्रोच के वातावरण में बिखेर देती है। संस्कृति का प्रवाह तो हम सबमें सरस्वती की धारा की तरह अंदर ही अंदर प्रवाहित होती ही रहती है। इसके बिना तो श्वास-प्रश्वास ही नहीं चले, से इसका ऋण है हम सभी पर। इससे उऋण होना तो संभव ही नहीं है, लेकिन इससे जुड़ी घटनाओं का प्रचार-प्रसार कर उऋण होने का प्रयास तो किया ही जा सकता है। कला तो हर किसी की चाहत होती ही है। तो मेरे इस ब्लॉग पर साहित्य, संस्कृति, कला और इस सरीखी अन्य जानकारियां प्रस्तुत करने का लघु प्रयास है यह मेरा। यहां मेरे ही नहीं, आप सभी के प्रिय साहित्यकारों की प्रतिनिधि रचनाएं तथा विशेषकर गुलाबी नगरी जयपुर की साहित्य-संस्कृति-कला जगत से जुड़ी गतिविधयों की जानकारी देने की कोशिश होगी मेरी। आप सब भी इस यज्ञ में आहुति देने के लिए सादर आमंत्रित हैं। कोई भी सूचना आप manglammk@gmail.com पर प्रेषित कर मुझे कृताथॅ कर सकते हैं।

नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ

मोहन कुमार मंगलम, जयपुर

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